गरीबी और अमीरी की प्रेरणादायक कहानी / hindi story/ प्रेरणादायक कहानी

 


दोस्तो आप लोगो ने गरीबी और अमीरी  वाली कहानियां बहुत सुनी और पढ़ी होगी। आज इस लेख में हम एक रोहन नामक लड़के का कहानी आपलोगो को पेश करने जा रहे हैं। और इस कहानी से आपके दिलो दिमाग में उत्पन्न हुई बात हम तक पहुंचाने के लिए comment जरूर करे। 


दोस्तो यह एक रोहन नामक लड़के की कहानी है

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रोहन एक गरीब परिवार में जन्मा था। रोहन के जन्म के कुछ समय बाद उसकी माता की गाव के जमीदार के खेत में मजदूरी करते वक्त साप के काटने के कारण देहांत हो गया था। रोहन का पालन पोषण उसके रिश्तेदारों ने किया। रोहन अपने माता पिता का एकलौता संतान था। रोहन के पिता एक मजदूर थे। वह काम करने सुबह ही शहर की और निकल पड़ते थे। और साम को घर वापस लौटते थे। रोहन का पालन - पोषण कुछ समय उनकी बुआ और कुछ समय तक उसकी मौसी की। जब रोहन करीब 5 साल का हो गया तो स्कूल भेजने के लिए उसके पिता ने रूपये एकत्रित किया वह सोचते थे कि किसी अच्छे स्कूल में रोहन की दाखिला करवा देंगे परंतु मजदूरी की कमाई बहुत ही कम एकत्रित कर पाए। 

और अच्छे स्कूल में दाखिला न करवा सकने की वजह से प्राथमिक विद्यालय में ही दाखिला दिलवाई   रोहन प्राथमिक विद्यालय में कक्षा 5 तक पढ़ाई की उसके बाद उसके पिता अब कैंसर बीमारी के कारण मजदूरी करने के लायक नहीं थे। उनका शरीर कमजोर हो चका था। रोहन की आर्थिक स्थिति खराब होने के वजह से उसने पढ़ाई छोड़ दी। इस समय तक रोहन करीब 11 वर्ष का हो चुका था। अब रोहन गावों और शहरों के गलियों में घूम - घूम कर फले और सब्जियां बेचने लगा। और अपने पिता की देख - भाल करता रहता था 

कुछ समय बाद रोहन के पिता का भी देहांत हो गया रोहन के पास अब पूंजी भी नहीं बची की कोई काम धंधा कर सके। अपनी जीविका चलाने के लिए रोहन कई लोगो से कर्ज ले चुका था। एक दिन  उसने एक रेलगाड़ी में फल बेचने के लिए गया और मुनाफा भी कमाया उसने यही काम जारी रखा। 

और सोचा की लोगो का कर्ज चुका दूंगा। 

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उसी दिन एक कार से उसका दुर्घटना हो गया उसके शरीर में बहुत चोट आई और हाथ एवं पैरो की हड्डियां टूट गई। अब वह घर पर ही रहने लगा। रोहन जिनसे कर्ज लिया था वह लोग उसके दरवाजे पर आकर अपने पैसे का गुहार लगाने लगे। इधर रोहन के पास अब कुछ पैसे भी नहीं बचे की वह अपने दवा का खर्च और खाने - पीने की खर्च को चला सके। भोजन न मिलने के कारण उसका शरीर और भी कमजोर और अस्वथ हो गया। एक दिन कर्ज देने वाले लोगो ने रोहन के पास गए और रोहन के दरवाजे पर से उसे आवाज लगाया परंतु कोई उत्तर नहीं आया तब एक व्यक्ति अन्दर जाकर देखा की रोहन एक बेड पर पड़ा था। उसने उसके पास गया और देखा की रोहन का मृत्यु हो चुका था। 


दोस्तो इसे ही कहते हैं 

चार दिन की जिंदगी फिर वही रात 


Story write (कहानी के लेखक)--बलराम कुशवाहा ]

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